नई दिल्ली,एजेंसी-23 मई | कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में एक अदालत ने यहां शुक्रवार को राज्यसभा सदस्य विजय दर्डा और दो अन्य को जमानत दे दी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष न्यायाधीश मधु जैन ने विजय दर्डा, उनके पुत्र देवेंद्र दर्डा और नागपुर की कंपनी एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज जायसवाल को दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत दे दी।
अदालत ने उन्हें बिना पूर्व अनुमति के देश से बाहर नहीं जाने का निर्देश दिया।
विजय दर्डा, उनके पुत्र और मनोज जायसवाल के विरुद्ध सीबीआई ने 27 मार्च को आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद सात मई को अदालत ने उन्हें सम्मन भेजा था। सीबीआई ने आरोप पत्र में उनपर आरोप लगाया है कि उन्होंने धोखाधड़ी के जरिए कोयला ब्लॉक हासिल किया।
तीनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड़यंत्र) और 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधान के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशक अरविंद कुमार जायसवाल, मनोज जायसवाल, रमेश जायसवाल एवं देवेंद्र दर्डा तथा कोयला मंत्रालय के कुछ अज्ञात अधिकारियों और कुछ अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी के रूप में नामित किया है।
एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के बारे में सीबीआई ने कहा था कि कंपनी ने कोयला ब्लॉक के आवंटन से संबंधित अपने आवेदन पत्र में यह नहीं बताया था कि उसके समूह की कंपनियों को पहले पांच कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए थे।
सीबीआई ने बताया कि कोयला मंत्रालय ने जिन कोयला ब्लॉकों के लिए आवेदन आमंत्रित किया था, उनमें महाराष्ट्र का बांदर कोयला ब्लॉक भी शामिल था।
सीबीआई के मुताबिक कोयला सचिव की अध्यक्षता वाली 36वीं स्क्रीनिंग समिति ने तीन जुलाई, 2008 को फैसला लेने के बाद बांदर कोयला ब्लॉक का आवंटन संयुक्त रूप से जे.के. सीमेंट लिमिटेड, मेसर्स सेंचुरी टेक्स्टाइल्स एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड और एएमआर आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड को कर्नाटक एवं महाराष्ट्र की प्रस्तावित परियोजना के लिए करने की सिफारिश की थी।