पटना,एजेंसी-22 मई। राजनीतिक में न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न कोई स्थायी दुश्मन। इस जुमले को सच साबित किया है लालू प्रसाद यादव ने। कभी एक-दूसरे के कट्टर राजनीतिक दुश्मन माने जाने वाले लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को समर्थन देने का ऐलान किया है।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने गुरुवार को जीतन राम मांझी की जदयू सरकार को बाहर से समर्थन देने का ऐलान करते हुए कहा कि भाजपा सत्ता हथियाना चाहती थी इसलिए उसे रोकने को उन्होंने समर्थन दिया है।
गौरतलब है कि राज्य की राजनीति ने तब करवट ली जब लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने नैतिक आधार पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में नीतीश के विश्वस्त जीतन राम मांझी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया।
उस समय चर्चा थी कि बामुश्किल निर्दलीय और कांग्रेस के समर्थन से चल रही जदयू सरकार को राजद समर्थन दे सकता है और इसके लिए दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत चल रही है, लेकिन तब लालू प्रसाद ने इससे साफ इन्कार किया था। खबर यह भी थी कि करीब तीन दर्जन से ज्यादा जदयू विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और वे मिलकर सरकार बनाने की राह तलाश रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जदयू ने इस बार भाजपा से गठबंधन तोड़कर सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे मात्र 2 सीटें ही मिली, जबकि पिछली बार उसने 20 और भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं।
लालू का यह कदम बिहार की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी है। कभी राज्य में कांग्रेस को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए एक साथ रहे लालू व नीतीश ने अब भाजपा की जड़ों को खत्म करने के लिए हाथ मिलाया है।
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