नई दिल्ली,एजेंसी-20 मई। भाजपा संसदीय दल की बैठक में आज नरेन्द्र मोदी की संसदीय दल के नेता चुने गए। वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जबकि मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज समेत कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उनके प्रस्ताव का समर्थन किया। मामले से जुड़ी हर जानकारी…
* देश के लिए हम मर नहीं पाए, जूझ नहीं पाए लेकिन कोटि कोटि लोगों ने देश के लिए हमें जीने का अवसर जरूर दिया।
* यहां बैठे सभी लोगों का संकल्प होना चाहिए कि हम देश के लिए जिएं। शरीर का कण कण और समय का पल पल कैसे देश के काम आए, यह हम तय कर लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
* मैं आशावादी हूं, मुझे कभी निराशा नहीं होती।
* आशावादी व्यक्ति ही देश को आगे ले जा सकता। निराश व्यक्ति कभी देश को आगे नहीं ले जा सकता।
* मेरी सोच तीसरी प्रकार की है। मैं गिलास को आधा पानी से भरा और आधा हवा से भरा देखता हूं।
* आजादी के कालखंड में पैदा हुए व्यक्ति के नेतृत्व में पहली बार केन्द्र में सरकार बन रही है।
* अब जिम्मेवारी का कालखंड शुरू हो रहा है।
* मैं ऐसा नहीं कहता पिछली सरकारों ने कुछ भी काम नहीं किया। सबने काम करने की कोशिश की है।
* भाजपा को बहुमत का मतलब लोगों ने आशा और विश्वास के साथ मतदान किया है।
* मैंने कहा था- हम चलें या न लें देश चल पड़ा है। आज हम यहां बैठे हैं उसका भी कारण है कि देश चल पड़ा है। हम चलें या न लें।
* आडवाणी को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने लगभग रोते हुए आडवाणी की तरफ मुखातिब होते हुए कहा कि वे ‘कृपा’ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करें।
* मां की सेवा कृपा कतई नहीं हो सकती है। जैसे भारत मेरी मां है। वैसे ही भाजपा भी मेरी मां है।
* मां पर कृपा नहीं सेवा की जाती है। कृपा तो मुझ पर पार्टी की है।
* मैंने ऐसे लोगों को भी देखा है कि कई लोगों के शरीर पर एक कपड़ा था मगर कंधे पर भाजपा का झंडा था।
* अब हमारी जिम्मेदारी है ऐसे लोगों के सपने पूरा करने की।
* सरकार देश के कोटि कोटि लोगों को समर्पित है और मान-सम्मान के लिए तरसती हमारी मां-बहनों के लिए समर्पित है।
* यह गरीब, किसान सबके लिए है। हमारा प्रयास रहेगा कि सबकी आकांक्षा पूरी हो।
* देश के लोगों में लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी।
* उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान की सामर्थ्य है कि एक सामान्य आदमी इतने बड़े पद तक पहुंचा।
* 125 करोड़ लोगों की उम्मीदें इस संसद पर टिकी हैं।
* मोदी ने आजादी दिलाने वाले महापुरुषों को प्रणाम किया।
* मैंने मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा देखी थी।
* आज भी ऐसा ही हो रहा है। संसद भवन में भी आज मैं पहली बार ही आया हूं।
* मोदी ने कहा कि हम यहां पद के लिए लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बैठें।
* पदभार बड़ी बात होती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन कार्यभार और जिम्मेदारी सबसे बड़ी चीज होती है।
* हमें इसके लिए अपने आपको इसके लिए समर्पित करना होगा।
* 13 सितंबर 2013 को पार्टी ने मुझे जिम्मेदारी दी, मैंने 15 तारीख से काम किया।
* मैंने एक कार्यकर्ता के भाव से काम किया। पार्टी ने दायित्व दिया है उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी चाहिए।
* 15 सितंबर से 10 मई तक काम किया। मैं अहमदाबाद जाने से पहले राजनाथ जी से मिलना चाहता था, उन्होंने कहा कि आप थके नहीं हो क्या? मैंने एक अनुशासित सिपाही की तरह अध्यक्षजी को रिपोर्ट की। 15 सितंबर से 10 मई तक जो जिम्मेदारी दी, उसे भली भांति पूरा करने की कोशिश की।
* इतने दिनों हमें सिर्फ एक दिन एक कार्यक्रम निरस्त करना पड़ा। वह भी हमारे घोसी जिलाध्यक्ष के निधन के कारण ऐसा नहीं हो सका। मैंने जो काम लिया उसे पूरा करने का प्रयास किया है।
* अटलजी का नाम लेकर भावुक हुए नरेन्द्र मोदी।
* मोदी ने कहा कि यदि अटलजी आज यहां होते तो सोने पर सुहागा होता। उनका आशीर्वाद हमारे साथ साथ सदा सदा बना रहे।
* नरेन्द्र मोदी ने सभी भाजपा नेताओं का आभार जताया, जिन्होंने सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना।
* मैं राजनाथजी और आडवाणी जी का भी आभारी हूं, जिनका आशीर्वाद मुझे मिला।
* आडवाणी ने कहा कि यह नरेन्द्र भाई मोदी की कृपा है कि भाजपा को यह अवसर मिला है। ऐसा अवसर पहली बार आया है। मैं मोदी जी को हार्दिक बधाई देता हूं। मेरा अभिनंदन और प्रणाम स्वीकार करें।
* लालकृष्ण आडवाणी ने स्वीकार किया कि नरेन्द्र भाई के नेतृत्व में जो अभियान चला, उसी के परिणामस्वरूप भाजपा को इस तरह के परिणाम मिले।
* वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि जीवन में कई ऐतिहासिक प्रसंग आते हैं।
* आडवाणी ने संसद का इतिहास भी बताया।
* उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे होते हैं कि कोई उनकी आलोचना करे तो आंसू आ जाते हैं और प्रसन्नता करे तो भी आंसू आ जाते हैं।
* देश को आजादी मिली तब भी आंखों में आंसू आ गए।
* आपातकाल समाप्त हुए तब भी आंखों में आंसू आ गए।
* आज जब नरेन्द्र भाई का स्वागत किया तब भी आंखों में आंसू आ गए।