नई दिल्ली,एजेंसी-15 मई। “वरिष्ठ नेताओं की नजर प्रमुख मंत्रालयों पर”
एग्जिट पोल में भाजपा को दिख रही बढ़त के बाद उत्साहित पार्टी को फिर से पुरानी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है। सतही तौर पर खेमों में बंटी भाजपा की अंदरूनी कलह को पार्टी अब भी स्वीकार नहीं कर रही है लेकिन राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि पार्टी में सरकार गठन को लेकर अब भी एक राय नहीं है। पार्टी का नेतृत्व कर रहा मोदी व राजनाथ सिंह खेमा अब अडवानी खेमे को मनाने में जुट गया है। इसके लिए पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज को मनाने का दौर शुरू हो गया है। मोदी खेमा सुषमा स्वराज के जरिए ही अडवानी को साधने की फिराक में है। प्रेक्षकों के अनुसार, अडवानी खेमे के वरिष्ठ नेताओं की भूमिका को लेकर पार्टी में उहापोह की स्थिति है। आगामी 16 मई को नतीजे आने से पहले भाजपा घर में सारे कील-कांटे दुरुस्त करने की कवायद तेज हो गई है। सरकार बनने की स्थिति में नरेंद्र मोदी के विरोधी माने जाने वाले लालकृष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी और सुषमा स्वराज की क्या भूमिका होगी इसको लेकर पार्टी में मंथन का दौर शुरू हो गया है। इसी सिलसिले में नितिन गड़करी और राजनाथ सिंह ने बुधवार को सुषमा स्वराज से मुलाकात की। हालांकि सुषमा स्वराज ने इसे महज शिष्टाचार मुलाकात कहा है। इस बीच बुधवार की शााम गांधीनगर में मोदी से राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और गडकरी के बीच बातचीत चल रही है। इससे दो दिन पहले भी गडकरी मोदी से मिल चुके हैं। सोमवार को मोदी से मिलने के बाद पिछले दो दिनों में गडकरी ने पहले अडवानी और फिर जोशी से मुलाकात की थी। ऐसा माना जा रहा है कि गडकरी को भाजपा के सीनियर नेताओं का मन टटोलने का दायित्व मिला है। करीब-करीब यह तय है कि मोदी की सरकार में अडवानी शामिल नहीं होंगे। ऐसे में उन्हें एनडीए का चेयरमैन या लोकसभा स्पीकर बनाने जैसे पेशकश सामने आ रहे हैं। फिलहाल आडवानी एनडीए के कार्यकारी चेयरमैन हैं और सूत्रों का कहना है कि वह पार्टी के परामर्शदाता की भूमिका में रहना चाहते हैं। सूषमा को लेकर खबर आ रही है कि वह लोकसभा स्पीकर बनने की इच्छुक नहीं हैं और कोई बड़ा मंत्रालय चाहती हैं। बताया जाता है कि गडकरी और राजनाथ ने मुलाकात के दौरान उन्हें भरोसा दिलाया है कि सरकार में उनके कद के हिसाब से उन्हें काम दिया जाएगा। भाजपा नेतृत्व नहीं चाहता कि सरकार बनने की स्थिति में पार्टी में किसी तरह के मतभेद की बात सामने आए। यही वजह है कि पार्टी का एक धड़ा इस संबंध में आरएसएस की मदद लेने की भी वकालत कर रहा है। सूत्रों का कहना है कि अडवानी को ऐसा लग रहा है कि नई सरकार में अगर वह सक्रिय रूप से शामिल हुए, तो भी उनका पुराना रुतबा वापस नहीं आने वाला है। इधर भाजपा भी पार्टी में सत्ता के दो केंद्र नहीं चाहती। यही वजह है कि अडवाननी और जोशी जैसे दिग्गजों की भूमिका तय करने में पार्टी को काफी मुश्किल हो रही है।
एग्जिट पोल के नतीजों में बहुमत मिलती देख एनडीए में सरकार बनाने की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। चर्चा शुरू हो गई है कि मोदी के मंत्रिमंडल की तस्वीर कैसी होगी। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक, कई बड़े नेता अहम मंत्रिमंडल पर नजर लगाए बैठे हैं। हालांकि पार्टी नेता इस बात की दुहाई दे रहे हैं कि इस सयम सरकार को लेकर किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, अरुण जेटली और मुरली मनोहर जोशी वित्त या विदेश मंत्रालय चाहते हैं। वहीं पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नजर गृह मंत्रालय पर है। सुषमा स्वराज को रक्षा मंत्रालय का जिम्मा सौंपा जा सकता है। जबकि पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह को रक्षा राज्य मंत्री बनाया जा सकता है। नितिन गडकरी को इंफ्रास्ट्रक्कचर या रेल मंत्रालय मिल सकता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि गडकरी गृह मंत्रालय चाहते हैं। एनडीए के सहयोगी दलों से राम विलास पासवान के कैबिनेट में जगह मिल सकती है। उन्हें स्वास्थ्य या कृषि मंत्री बनाया जा सकता है। रविशंकर प्रसाद को कानून मंत्रालय की जिम्मेवारी मिल सकती है। कर्नाटक के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार को संसदीय मंत्रालय की जिम्मेवारी दी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो नरेंद्र मोदी, राजनाथ, जेटली, गडकरी के साथ बैठक कर एक प्रारूप तैयार किया जाएगा लेकिन अंतत: गुरुवार को संघ के नेताओं के साथ होने वाली बैठक में इस बात का निर्णय किया जाएगा।