नई दिल्ली,एजेंसी-9 मई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सारधा चिट फंड घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इस घोटाले से पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा और असम के लोग भी प्रभावित हुए हैं जिनके पैसे डूब गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ से पश्चिम बंगाल में सारधा कंपनी और ओडिसा की उन 44 फर्मो की जांच करने को कहा है जो चिट फंड घोटाले में शामिल हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों की पुलिस से जांच एजेंसी को हर तरह का सहयोग देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राज्यों की पुलिस से केस से संबंधित सभी दस्तावेज भी सीबीआइ को उपलब्ध कराने को कहा है।
गौरतलब है कि कुछ समय पहले करोड़ों रुपये के सारधा चिटफंड घोटाले की सीबीआइ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर की खंडपीठ ने इसके साथ ही सभी राज्य सरकारों व केंद्र को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] को सशक्त बनाने और देशभर में चल रही चिटफंड योजनाओं पर नियंत्रण के लिए भी नोटिस जारी किया था।
चिटफंड कंपनिया कैसे काम करती हैं, कैसे लोगों को लुभाती हैं और क्या होता है उनके काम करने का तरीका
चिट फंड एक्ट 1982 के मुताबिक चिट फंड स्किम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का ग्रुप एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए। और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं। नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है।
लेकिन आम तौर पर ऐसा होता नहीं है। ये चिट फंड स्कीम कब पॉन्जी स्कीम में बदल जाती है कोई नहीं जानता है। आम तौर पर चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टीलेवल मार्केटिंग में तब्दील कर देती हैं। मल्टीलेवल मार्केटिंग यानि अगर आप अपने पैसे जमा करते हैं साथ ही अपने साथ और लोगों को भी पैसे जमा करने के लिए लाते हैं तो मोटे मुनाफे का लालच। ऐसा ही बाजार से पैसा बटोरकर भागने वाली चिट फंड कंपनियां भी करती हैं। वो लोगों से उनकी जमा पूंजी जमा करवाती हैं। साथ ही और लोगों को भी लाने के लिए कहती हैं।
बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। सारधा ग्रुप ने ही महज 4 सालों में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, उड़ीसा और नॉर्थ ईस्ट राज्यों में भी अपने 300 ऑफिस खोल लिए। यही नहीं जानकारों की माने तो बाजार में उसके दो लाख एजेंट हैं।
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