लखनऊ,एजेंसी-11 मार्च। यूपी में मनरेगा घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने उन अफसरों पर शिकंजा कसने की रणनीति बनाई है जिन्हें पूर्व में हुई ईओडब्ल्यू जांच में आरोपी ठहराया गया था। इस फेहरिस्त में सूबे के करीब दो दर्जन से ज्यादा प्रशासनिक अफसरों के अलावा ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं। (08:28)
राजधानी स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच व स्पेशल क्राइम ब्रांच होली के बाद इन्हें बुलाकर पूछताछ का सिलसिला शुरू करेगी। सीबीआई के इस कदम के बाद ऐसे अफसरों की मुश्किलों में इजाफा होना निश्चित है।
प्रदेश के सात जिलों में हुए मनरेगा घोटाले की जांच पहले ईओडब्ल्यू ने की थी। जांच में करीब दो दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ पीसीएस अफसरों को आरोपी ठहराया था जो उस दौरान इन जिलों में सीडीओ के पद पर तैनात थे। इनमें से ज्यादातर अब आईएएस बन चुके हैं।
योजना का बजट सीडीओ की अनुमति के बाद ही संबंधित ग्राम पंचायतों में भेजा जाता था इसलिए सीबीआई ने ईओडब्ल्यू द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के आधार पर सबसे पहले उन्हीं से पूछताछ करने का फैसला लिया है। फिलहाल सीबीआई की टीमें सातों जिलों से योजना से संबंधित दस्तावेजों को बटोरने के बाद उनका गहनता से अध्ययन कर रही है।
होली तक यह काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है जिसके बाद आरोपी अफसरों को बुलाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। माना जा रहा है कि घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर उनके बयान दर्ज करेगी ताकि करोड़ों रुपयों की हेराफेरी में उनकी भूमिका को खंगाला जा सके।
वहीं ग्राम्य विकास विभाग के उन अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ की जानी है जो संबंधित जिलों में घोटाले की अवधि के दौरान बीडीओ व एडीओ के पद पर तैनात थे। सीबीआई के मुताबिक ऐसे अफसरों की फेहरिस्त काफी लंबी है जिसकी वजह से उनसे पूछताछ करने में लंबा वक्त लग सकता है।