लखनऊ,एजेंसी-10 मार्च । आदर्श चुनाव आचार संहिता के मद्देनजर लोकसभा चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती और हाथियों की मूर्तियां एक बार फिर ढक दी जाएंगी। निर्वाचन आयोग ने हालांकि अभी इस मुद्दे पर कोई निर्देश जारी नहीं किया है। पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त माया और बसपा के चुनाव चिह्न् हाथी की मूर्तियों को लेकर सूबे की राजनीति में काफी बवाल मचा था।
राजनीतिक दलों द्वारा इन मूर्तियों पर अपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद आयोग ने सूबे के पार्कों और स्मारकों में लगी तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और हाथियों की मूर्तियां ढकवा दी थीं। बसपा शासनकाल में प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा में माया की 11 मूर्तियां बनवाई गई थीं। वहीं हाथियों की करीब 300 मूर्तियां लगाई गई थीं। अकेले लखनऊ में मायावती की 9 मूर्तियां और नोएडा में दो मूर्तियां हैं। गोमतीनगर के भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल में 96 लाख रुपये की लागत से बनी 24 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमा भी इसमें शामिल है।
पिछली बार विधानसभा चुनाव के दौरान हाथी की करीब 90 और माया की 11 मूर्तियों को ढका गया था, जिस पर लाखों रुपये का खर्च आया था। गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बसपा को छोड़ अन्य राजनीतिक पार्टियों ने प्रदेश में लगी मायावती और हाथियों की मूर्तियों को लेकर आयोग के सामने विरोध जताया था। विरोधी पार्टियों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सरकारी पैसों से अपनी और हाथी की मूर्तियां लगवाईं और उस पर बसपा का नाम भी लिखा। उस वक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने फैसला लिया था कि राज्य में जगह-जगह लगी हाथियों और मायावती की मूर्तियों को ढका जाएगा।
विधानसभा चुनाव 2012 से पहले मूर्तियां उत्तर प्रदेश में बसपा की चुनावी हार-जीत का फैक्टर नहीं बनी थी। वर्ष 2007 में जब बसपा की बहुमत की सरकार बनी थी तो पार्टी ने 403 सदस्यों की विधानसभा में 206 सीटें जीती थीं। तब सूबे में बसपा को मूर्तियों की बदौलत वोट नहीं मिले थे। यही नहीं, जब वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव हुए तब मूर्तियां तो थीं लेकिन चुनाव में मुद्दा नहीं बनी थी। तब भी मायावती की पार्टी ने उप्र से 20 लोकसभा सीटें जीती थीं। लेकिन 2012 के विधानसभा चुनाव में मूर्तियों का बनना और ढकना चुनावी आंकड़ों पर जरूर असर डाल गया।
2007 में बसपा ने 200 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 100 का आकड़ा पार न करके केवल 80 विधानसभा सीटों पर ही सिमट गई थी। विडंबना तो यह है कि पूर्व के विधानसभा चुनाव 2012 की तर्ज पर लोकसभा चुनाव-2014 के दौरान भी बसपा के चुनाव चिह्न् ‘हाथी’ और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की उत्तर प्रदेश में लगी मूर्तियों को एक बार फिर ढकने की अंदरखाने आवाज उठने लगी हैं। अब देखना यह है कि माया और हाथियों की मूर्तियों पर आयोग क्या फैसला लेगा।
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