नई दिल्ली,एजेंसी-22 | आंध्र प्रदेश विभाजन के बाद की परिस्थितियों से निबटने के लिए कांग्रेस में विचार-विमर्श तेज हो गया है। मुख्यमंत्री एन.किणन कुमार रेड्डी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस इस दुविधा में है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए या किसी नए मुख्यमंत्री का चयन करे या फिर दो राज्यों के दो मुख्यमंत्रियों के लिए कुछ दिनों का इंतजार करे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंत्रिमंडल के सदस्यों -कन्ना लक्ष्मीनारायण और उत्तम कुमार रेड्डी- के साथ शनिवार को बैठक की, जो क्रमश: आंध्र और तेलंगाना इलाके से आते हैं। कन्ना का नाम कुछ महीनों से किरण रेड्डी के उत्तराधिकारी के रूप में चर्चा में है। रेड्डी ने पार्टी नेतृत्व के राज्य के विभाजन के फैसले के खिलाफ बगावत कर दी है। जबकि कृषि मंत्री कन्ना ने नेतृत्व से बगावत नहीं किया है और उन्होंने कुछ सप्ताह पहले कुछ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी।
उत्तम पार्टी के वफादार और निर्विवादित चेहरा माने जाते हैं। सोनिया ने शुक्रवार को प्रदेश में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्षों -डी. श्रीनिवास और मंत्री गीता रेड्डी- के साथ बैठकें की थी, दोनों का संबंध तेलंगाना क्षेत्र से है। माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व दोनों राज्यों के लिए अलग-अलग अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है। पार्टी नेतृत्व अविभाजित राज्य के लिए सीमांध्र के किसी नेता का नाम मुख्यमंत्री के रूप में तय करने के लिए तेलंगाना के नेताओं को विश्वास में लेने की कोशिश कर रही है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व राज्य के आधिकारिक रूप से गठित हो जाने के विकल्प का भी इंतजार कर रही है। हालांकि, किरण रेड्डी ने भी राज्यपाल को यह संदेश दे दिया है कि वह कार्यवाहक मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते।
सूत्रों के मुताबिक, नेतृत्व दोनों क्षेत्रों के अलग-अलग पार्टी प्रमुखों की नियुक्ति के अच्छे और बुरे पक्ष के बारे में भी विचार कर रही है। तेलंगाना के नेता जहां अलग-अलग राज्यों में चुनाव की मांग कर रहे हैं, केंद्रीय नेतृत्व भी संभवत: इस विकल्प को ही चुनेगी।