नई दिल्ली,एजेंसी-22 फरवरी। 15वीं लोकसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन केंद्र सरकार को उस समय बड़ी सफलता हासिल हुई जब उसने लंबे समय से लटका ‘व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन बिल’ यानी लोक प्रहरी सुरक्षा विधेयक राज्यसभा में पास करा लिया। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार-2 के अंतिम संसदीय सत्र के आखिरी दिन
राज्यसभा ने बिल पर मुहर लगाई। यह बिल इस सहमति के साथ पारित किया गया कि लोकसभा से पारित इस बिल को फिर से निचले सदन के पास न भेजा जाए। इस सत्र में भ्रष्टाचार विरोधी छह विधेयकों में से यही एकमात्र बिल रहा जिसे संसद की मंजूरी मिल पाई। सरकार की ओर से ही कई संशोधन थे, लेकिन उन्हें पेश नहीं किया गया। कुछ अन्य संशोधनों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया। विधेयक पारित होने के थोड़ी देर पहले कार्मिक एवं लोक शिकायत रायमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा, हमें निश्चित रूप से इस विधेयक को पारित करना चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा, कई संशोधन बांटे गए, लेकिन कोई भी पारित नहीं किया गया। यह लेखन सामग्री का दुरुपयोग है। मुखबिरों को संरक्षण प्रदान करने वाला यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून का रूप ले लेगा। यदि संशोधन पारित किए जाते तो विधेयक पारित होने से रह जाता क्योंकि जिस समय तक रायसभा में विधेयक पारित हो रहा था संसद के निचले सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित की जा चुकी थी। शुक्रवार को 15वीं लोकसभा का अंतिम कार्यदिवस था। इस विधेयक के जरिए किसी सरकारी सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार या प्रदत्त शक्ति का सोच समझकर दुरुपयोग करने के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए एक तंत्र की स्थापना की व्यवस्था की गई है। इसके जरिए शिकायतकर्ता को संरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। जहां खुलासे की जांच की प्रक्रिया निर्धारित करने के साथ ही मुखबिर को निशाना बनाए जाने या प्रताड़ना से बचाने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है, वहीं झूठे बेबुनियाद और मनगढंत शिकायत करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है। मुखबिरों को संरक्षण देना भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव की पुष्टि है।
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