लखनऊ,(एजेंसी)18 जून। उत्तर प्रदेश सरकार का ‘बेटी बढ़ाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा सुहाग नगरी के रूप में विख्यात फीरोजबाद में बेकार हो गया। यहां एक मजबूर मां बेटियों की हिफाजत की चिंता में कानून तोडऩे पर मजबूर हो गई। बेटे का विरोध, गांव वालों का आक्रोश व पुलिस का पहरा भी उसके मंसूबों को डिगा नहीं पाया। तभी तो नाबालिग बेटी के विवाह को पुलिस चौकी में इïन्कार के बाद भी उसने न केवल गुपचुप फेरे करवा दिए, बल्कि ग्र्रामीणों की आंख में धूल झोंक नाबालिग को विदा भी कर दिया। पुलिस 24 घंटे बाद भी पूरे प्रकरण से अनजान है।
फीरोजाबाद के सिरसागंज के गांव भावली का है यह बाल विवाह का यह घटनाक्रम। विधवा राधा के पति की दस वर्ष पहले मौत हो गई। इकलौता बेटा गुडग़ांव में नौकरी करता है। राधा की तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी की शादी पहले हो चुकी है। जबकि मझली और छोटी बेटी अविवाहित हैं। राधा ने नारखी के गांव जारखी निवासी 26 वर्षीय युवक से 17 वर्षीय मझली बेटी का विवाह तय किया। इसी बीच उसने 13 वर्षीय छोटी बेटी की शादी 35 वर्षीय युवक से तय कर दी। दोनों की बरात एक ही दिन आनी थी। जब इसकी जानकारी ग्र्रामीणों को लगी, तो उन्होंने विरोध किया। दिल्ली में रहने वाले बेटे ने भी मां को समझाने की कोशिश की, मगर वो टस से मस नहीं हुई।
मजबूरी में बेटे ने कानून की शरण ली। थाने में विधवा ने छोटी बेटी की शादी न करने की सहमति जता दी। 15 जून को बड़ी बेटी की धूमधाम से शादी हुई। उधर मझली बहन की शादी के दो दिन बाद भी जब छोटी नजर नहीं आई, तो ग्र्रामीणों को शक हुआ। उन्होंने जब जानकारी की तो पता चला की मझली बेटी के साथ ही चुपचाप छोटी बेटी के भी फेरे कराने के बाद उसको विदा कर दिया गया है।
बचौलिए ने दिए पांच हजार
बताया गया कि मां ने छोटी बेटी की शादी के लिए बिचौलिए के मार्फत पांच हजार रुपये लिए हैं। ग्रामीणों की मानें, तो बिचौलिए ने पांच हजार रुपये देने की बात कही तथा मां ने भी पांच हजार लेने की बात स्वीकारी है। पुलिस का कहना है कि शनिवार को महिला और उसका बेटा थाने आए थे। बेटे की शिकायत पर महिला को नाबालिग बेटी का विवाह न करने को सख्त हिदायत दी गई थी। तब वह छोटी बेटी की शादी नहीं करने पर राजी हो गई थी। महिला के नाबालिग बेटी की शादी करने का मामला संज्ञान में नहीं है। गांव में टीम भेजकर पूरे मामले की जांच कराते हुए कार्रवाई करेंगे।