लखनऊ,(एजेंसी)17 जून। राम मंदिर मुद्दे पर अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद् और संतों की बैठक में केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से आर-पार का फैसला करना तय हुआ है। धर्माचार्य और विश्व हिन्दू परिषद् इस बात से बहुत नाराज़ है कि केन्द्र सरकार राम मन्दिर निर्माण की बाधाओं को दूर करने का प्रयास नहीं कर रही है। पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने इस बात पर सख्त एतराज़ जताया कि प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने काशी, नेपाल, बांग्लादेश और चीन के मंदिरों में जाना तो ज़रूरी समझा लेकिन वह अयोध्या में रामलला के दर्शन करने नहीं आये.।
राम मंदिर मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के टालमटोल वाले रवैये से नाराज़ संतों और विहिप नेताओं ने नरेन्द्र मोदी को सबक सिखाने का फैसला किया है। धर्माचार्यों व विहिप नेताओं ने अयोध्या में कहा कि मोदी सरकार राम मंदिर निर्माण में रुचि नहीं दिखा रही है। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राम मंदिर न्यास से जुड़े भाजपा सांसद विनय कटियार और राम विलास वेदांती ने सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी सरकार पर टिप्पड़ियां कीं। अयोध्या मुद्दे को हाल ही में विनय कटियार ने ही गरमाया था। इस बैठक में संतों ने राम मंदिर के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया है। विनय कटियार ने तो यहाँ तक कहा कि मोदी सरकार को राम मंदिर मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद इस मसले को सुलझाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंघल ने बैठक में कहा कि राम जन्मभूमि का फैसला यथाशीघ्र होना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के लिए विशेष बेंच गठित करने की मांग भी की। अयोध्या स्थित मणिरामदासजी की छावनी में राम जन्मभूमि न्यास की बैठक में उन्होंने यह याद दिलाकर मंदिर के हक में फैसले की उम्मीद जताई कि पांच वर्ष पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यह तय कर दिया है कि जिस स्थान पर रामलला विराजमान हैं, वह भूमि रामलला की है और वही राम की जन्मभूमि है। दिक्कत यह हुई कि राम जन्मभूमि का बंटवारा कर दिया गया जबकि किसी भी पक्ष ने बंटवारा नहीं चाहा था। उन्होंने न्यास को कानून एवं संवैधानिक मर्यादा के प्रति पूरी तरह जवाबदेह भी बताया और कहा कि न्यास ने हमेशा धैर्य से काम लिया है।
उन्होंने कहा कि हम देश में शांति चाहते हैं और विहिप ने यह बात बार-बार कही है कि हिंदू और मुसलमान में हमेशा के लिए प्रेम संबंध स्थापित हों और इसके लिए मुसलमानों को राम जन्मभूमि सहित कृष्ण जन्मभूमि एवं काशी विश्वनाथ से अपना दावा वापस ले लेना चाहिए। दोनों समुदायों के बीच मधुर संबंध देश के विकास के लिए आवश्यक हैं।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती की अध्यक्षता में हुई बैठक में रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, जगद्गुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य, पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती, निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, दिगम्बर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, हरिद्वार की महामंडलेश्वर संतोषी माता, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय, संगठन मंत्री दिनेश, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम नारायण सिंह, राजेंद्र सिंह पंकज, अदालत में रामलला के सखा त्रिलोकीनाथ पांडेय, ओमप्रकाश सिंघल, बालकृष्ण नायक आदि मौजूद थे। बैठक में विहिप नेता अशोक सिंघल ने बताया कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए प्रस्तावित मानचित्र के तहत दो लाख घनमीटर पत्थर की ज़रुरत है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 से स्थापित मंदिर निर्माण कार्यशाला में सवा लाख घन फीट पत्थर तराशे जा चुके हैं। श्री सिंघल ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए पूर्व में एकत्र सवा आठ करोड़ रुपये अब तक व्यय हो चुके हैं और संतों के सुझाव पर ही मंदिर के लिए जरूरत पूरी करने के लिए पत्थर दान में लिए जाने की योजना बनाई गई है।
राम मंदिर मुद्दे पर साक्षी महाराज ने कहा है कि राम मंदिर बनाने को लेकर बीजेपी के संकल्प पर किसी को शक नहीं करना चाहिए। अभी तो सरकार को एक साल ही हुआ है अभी तो सरकार के कार्यकाल के चार साल बाकी हैं। साक्षी महाराज ने साफ कहा कि अगर मंदिर बीजेपी के राज में नहीं बनेगा तो क्या कांग्रेस के राज में बनेगा। बीजेपी के संकल्प पर शक नहीं करना चाहिए. पार्टी ने अपनी 4-4 सरकारें राम मंदिर के नाम पर न्यौछावर कर दीं।
साक्षी महाराज ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार को राममंदिर निर्माण का कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करते हैं। राम मंदिर बनाने के लिए हमें किसी की जरूरत नहीं है। राम मंदिर के निर्माण को कोई रोक नहीं सकता है।