नई दिल्ली,(एजेंसी)16 जून। इस बार अल्लाह के साथ-साथ गर्मी भी रोज़दारों का इम्तिहान लेगी। इस साल 36 साल बाद सबसे लंबा रोज़ा पड़ेगा। उलमा के मुताबिक इस साल सबसे लंबा रोज़ा 15 घंटे 42 मिनट का होगा, जबकि सबसे छोटा रोज़ा 15 घंटे 30 मिनट का होगा। इस लिहाज से इस बार का रमज़ान रोज़दारों के लिए आसान नहीं होगा। चांद निकलने के मुताबिक ही रमज़ान का महीना शुरू होता है। इस बार अगर 17 को रमज़ान का चांद निकलता है तो 18 को पहला रोज़ा होगा, वरना 19 को पहला रोज़ा पड़ेगा।
दारुल इफ्ता फरंगी महल चौक के मुताबिक सुन्नी मुस्लिमों के लिए पहले दिन सहरी का समय सुबह 3:23 बजे खत्म हो जाएगा, जबकि शाम 7:05 बजे इफ्तार होगा। इस दौरान 15 घंटे 42 मिनट का रोज़ा होगा। सबसे लंबा रोज़ा 11 रमज़ान को पड़ेगा। उस दिन सहरी 3:25 बजे होगी, जबकि इफ्तार 7:07 बजे किया जाएगा।
शिया समुदाय का रोज़ा 3 मिनट ज्यादा होगा। मौलाना कल्बे जवाद के मुताबिक खत्म सहर 3:30 पर होगी, जबकि रोज़ा इफ्तार 7:15 पर होगा। ऐसे में शिया मुस्लिम 3 मिनट ज्यादा रोज़ा रखेंगे। हालांकि जैसे जैसे रोज़े गुजरेंगे ये वक्त कम होता जाएगा, लेकिन सुन्नी मुस्लिमों की तरह ज्यादातर रोज़े लम्बे ही होंगे। सुन्नी समुदाय के मुकाबले शिया मुस्लिमों की खत्म सहरी और इफ्तार का वक्त 10-12 मिनट बाद होता है।
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने बताया कि अगर हश्र की भूख और प्यास को बर्दाश्त करना है तो यहां की भूख और प्यास बर्दाश्त करनी होगी। इसका बदला अल्लाह हमें मरने के बाद अता करेगा। इसलिए हर रोज़दार को तकलीफ में भी रोज़ा रखना चाहिए। गर्मी के रोज़े से डरने के बजाए इसे अपना नसीब समझना चाहिए।
सुन्नी धर्मगुरु मौलाना इरफान मियां फरंगी महली ने बताया कि इस्लामी कैलंडर 36 साल में रोटेट होता है। अल्लाह ने रोज़ा नमाज़ को चांद-सूरज के निकलने और डूबने से जोड़ा है। इस्लामी कैलंडर में यही खासियत है कि मौसम हर साल 10 से 12 दिन कम हो जाते हैं। इस गर्मी में रोज़ा रखना रोज़दारों के लिए मौका है।