संयुक्त राष्ट्र,(एजेंसी)16 जून। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने इस बात पर जोर दिया है कि योग भेदभाव नहीं करता है। उन्होंने कहा कि जब अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने अपना पहला ‘आसन’ करने की कोशिश की तो इससे उन्हें एक संतुष्टि की अनुभूति हुई।
रविवार 21 जून को मनाए जाने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर अपने संदेश में बान ने याद करते हुए कहा कि जब उन्होंने जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान नई दिल्ली में योग करने की कोशिश की तो उन्हें अपना संतुलन स्थापित करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन जल्दी ही उन्हें यह अहसास हुआ कि ऐसा कोई भी कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अपने संदेश में कहा, ‘योग भेदभाव नहीं करता। अलग-अलग स्तरों पर सभी लोग इसका अभ्यास कर सकते हैं, फिर चाहे उनकी क्षमता, उम्र या योग्यता कितनी भी हो। अपना पहला आसन करने के दौरान मैंने पाया कि वृक्षासन शुरुआती योगभ्यास करने वालों के लिए उपयुक्त है। संतुलन हासिल करने में मुझे कुछ समय लगा लेकिन एक बार संतुलन स्थापित हो जाने के बाद मुझे योग के कारण संतुष्टि का अहसास हुआ। मुझे यह अच्छा लगा।’
उन्होंने कहा कि उनकी भारत यात्रा के दौरान उन्हें अपने एक वरिष्ठ सलाहाकार के साथ योगाभ्यास करने का मौका मिला। म्यांमार पर बान के सलाहाकार और वरिष्ठ भारतीय राजनयिक विजय नांबियार ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख को उनके पहले योगाभ्यास का पाठ पढ़ाया था। यह अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी के लिए था।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने नांबियार के साथ अपने पहले योगासन का अभ्यास कर रहे बान की तस्वीर भी ट्वीट की थी। इस तस्वीर में मुस्कुराते हुए बान जूते उतारकर एक टांग पर खडे हैं। उनके हाथ उनके सिर से उपर उठे हुए हैं और दूसरी टांग उन्होंने घुटने तक मोड़ी हुई है। नांबियार भी इसी आसन में खड़े हैं।
बान ने कहा, ‘हालांकि वह उस देश का बेटा है, मैंने भी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले कई सहकर्मियों के साथ इसे लगभग समान तरीके से ही किया। योग एक प्राचीन विधा है, जिसका अभ्यास हर क्षेत्र के अभ्यासकर्ताओं द्वारा किया जाता है।’ उन्होंने कहा कि योग शारीरिक एवं आध्यात्मिक सेहत और तंदुरुस्ती के लिए एक सरल, सुलभ और समावेशी साधन उपलब्ध करवाता है।
बान ने कहा कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में प्रमाणित करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस शाश्वत अभ्यास के लाभों और संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों एवं मूल्यों के साथ इसके निहित तालमेल को मान्यता दी है। उन्होंने कहा, ‘योग शारीरिक एवं आध्यात्मिक सेहत और तंदुरुस्ती के लिए एक सरल, सुलभ और समावेशी साधन उपलब्ध करवाता है। यह साथी इंसानों और हमारे इस ग्रह के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है।’