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अधिवक्ता लिखने के शौक में तोमर कर बैठे गुनाह, गवां दी मंत्री की कुर्सी


पटना,(एजेंसी)12 जून। विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान मुंगेर में दिल्ली पुलिस की पूछताछ में दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उन्हें नाम के आगे अधिवक्ता लिखने का शौक था, जिसकी वजह से ऐसा गुनाह कर बैठे।

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मुंगेर के विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में दिल्ली पुलिस की दो टीमों ने जांच की। एक टीम ने प्राचार्य कक्ष में कागजातों की जांच की तो दूसरी टीम ने तोमर से कॉमन रुम में पूछताछ की। तोमर ने पुस्तकालय की पहचान की। मुंगेर के एक वकील मित्र के कहने पर मुंगेर में नामांकन कराया। वे खुद परीक्षा देने आया करते थे। पूछताछ के बाद तोमर को लेकर दिल्ली पुलिस भागलपुर के लिए रवाना हो गई है।

मुंगेर कॉलेज पहुंचे पूर्व मंत्री तोमर, देखें तस्वीरें-
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री के फर्जी डिग्री मामले में साक्ष्य जुटाने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम मुंगेर पहुंची तो तोमर की तबीयत बिगड़ गई। पूछताछ के चलते तोमर की तबीयत खराब होने की बात कही जा रही थी। सदर अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज ले जाया गया।

दिल्ली पुलिस की एक टीम ने गुरुवार को कॉलेज से जो साक्ष्य जुटाए थे उसी के आधार पर पूछताछ हुई। कॉलेज के प्राचार्य आरके मिश्रा व अन्य कर्मचारी इस दौरान मौजूद रहे। कड़ी सुरक्षा के चलते लॉ कॉलेज को छावनी बना दिया गया था। मीडिया का कॉलेज के अंदर प्रवेश बंद कर दिया गया था।

वहीं दूसरी पुलिस टीम तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पहुंच चुकी है। भागलपुर विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस की टीम ने कुलपति प्रो रमाशंकर दुबे के साथ बातचीत की। इस बीच तोमर को लेकर दिल्ली पुलिस की टीम भागलपुर के लिए मुंगेर से प्रस्थान कर चुकी है।

पढ़ें- दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री के डिग्री की सच्चाई
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में परिसर में सुबह से ही कर्मचारियों की चहल-पहल है। परीक्षा विभाग के कर्मचारी खासतौर पर ज्यादा सजग है। विश्वविद्यालय के अंदर भी मीडिया की इंट्री प्रतिबंधित कर दी गई है।

दूसरी टीम गुरुवार देर शाम लॉ कॉलेज पहुंची थी, लेकिन पर्याप्त दस्तावेज नहीं मिला था। अब पुलिस टीम की सारी उम्मीदें विश्वविद्यालय पर जा टिकी हैं।

लॉ कॉलेज में जितेंद्र के हस्ताक्षर का नमूना व फोटो युक्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण अब विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रवेश पत्र, प्रोविजनल सार्टिफिकेट पंजी आदि के जरिए दिल्ली पुलिस साक्ष्य एकत्रित करने का प्रयास करेगी।

दो सदस्यीय टीम गुरुवार की रात मुंगेर पहुंची थी। दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी थानाध्यक्ष कुलदीप सिंह व इंस्पेक्टर शिवदेव सिंह मुंगेर पहुंचते ही सीधे विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज पहुंचे। प्राचार्य आरके मिश्रा, प्रधान लिपिक आदि के साथ उन्होंने घंटों बंद कमरे में जानकारियां लीं।

कुलदीप सिंह ने बताया कि समय बचाने के लिए दो टीमें भागलपुर पहुंचीं। एक विश्वविद्यालय में जांच कर रही है तो दूसरी मुंगेर गई। मुंगेर गई पुलिस टीम ने जांच पूरी कर ली है। तोमर के साथ वह अभी भागलपुर लौट रही है। जांच अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय और कॉलेज की दी गई जानकारी के आधार पर पूर्व कानून मंत्री से पूछताछ की जाएगी।

मुंगेर में पुलिस टीम ने कॉलेज की नामांकन पंजी और टीआर पंजी का अवलोकन किया। जांच टीम में शामिल पुलिस पदाधिकारियों ने कॉलेज में तोमर के फोटो युक्त दस्तावेज नहीं होने पर नाराजगी भी जताई।

प्राचार्य ने टीम को जानकारी देते हुए बताया कि मामला 1994 से 1999 के बीच का है, जबकि वे 2008 से मुंगेर लॉ कॉलेज में तैनात हैं। इस दौरान एक घंटे तक जांच कर बाहर निकले पुलिस पदाधिकारियों ने मीडिया को कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया और आगे बढ़ गए।
दिल्ली पुलिस के अधिकारी सतिंदर सांगवान ने 24 मई को फैजाबाद में छानबीन की थी। उन्होंने 10 बिंदुओं पर सूचनाएं जुटाई थीं, जिनमें प्रवेश, परीक्षा, अंकपत्र व उपाधि की वैधता समेत अन्य बिंदु शामिल थे।

ध्यान रहे, तोमर ने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्र्वविद्यालय से संबद्ध साकेत महाविद्यालय से वर्ष 1988 में बीएससी करने का दावा किया था। सबसे पहले तोमर की फर्जी डिग्री का सच भी अवध विश्र्वविद्यालय से ही सामने आया।

जनवरी में ही विवि ने एक आरटीआइ के जवाब में तोमर की डिग्री को फर्जी करार दिया। आरटीआइ के जवाब में विवि ने बताया था कि तोमर के अंकपत्र पर अंकित रोल नंबर 31331 और डिग्री दोनों ही फर्जी है। इसका विवि से कोई लेना-देना नहीं है।


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