इलाहाबाद,(एजेंसी)05 जून। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अखिलेश सरकार को एक एक बार फिर बड़ा झटका दिया है और कृषि विभाग में होने वाली 6628 भर्तियों पर रोक लगा दी है। अखिलेश सरकार पर आरोप लग रहे है कि कृषि विभाग में भर्तियों में सामान्य और एससी एसटी कोटे के लोगों का हक मारकर सिर्फ ओबीसी यानि पिछड़ा वर्ग के लोगों को भर्ती करने की तैयारी थी। आरोप ये भी है कि इन भर्तियों में एक खास जाति के लोगों के होने की साजिश रची गई थी।
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए माना कि आयोग की कृषि विभाग में नियुक्ति की प्रक्रिया को गैरकानूनी मानते हुए भर्तियों पर रोक लगा दी। आरोप है कि इन पदों पर एक खास जाति और खास इलाके के लोगों की भर्ती होनी थी। अखिलेश राज में नौकरियों की लूट का ये पहला मामला नहीं है।
आरोप के मुताबिक, यूपी लोकसेवा आयोग को कृषि विभाग में 6628 पदों पर नियुक्ति करनी थी। इसमें सामान्य वर्ग के लिए 3616 पद, एससी उम्मीदवारों के लिए 2211, एसटी के लिए 235 और ओबीसी यानि पिछड़ा वर्ग के लिए 566 पद शामिल थे।
आरोप है कि लिखित परीक्षा के बाद जब आयोग ने उम्मीदवारों को इंटरव्यू के लिए बुलाया तो पूरी स्थिति बदल चुकी थी। आयोग ने पिछड़ा वर्ग के पदों की संख्या बढ़ाकर 2030 कर दी थी, जबकि सामान्य वर्ग के पदों की संख्या 3616 से घटाकर 2515, एससी वर्ग के पदों की संख्या 2211 से घटाकर 1882 और एसटी वर्ग के पदों की संख्या 235 से घटाकर 201 कर दी थी, जबकि ओबीसी की 566 से बढ़ाकर 2030 कर दी गई।
हाईकोर्ट के आदेश ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के चेयरमैन अनिल यादव की छवि और कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए हैं। आरोप है कि वो इस पद के काबिल नहीं थे लेकिन फिर भी अखिलेश यादव की मेहरबानी से वो इस पद पर बने हुए हैं। उनके रहते इतिहास में पहली बार पीसीएस परीक्षा का पेपर लीक हुआ। सिपाही, दरोगा की भर्ती में एक खास जाति को और इलाके को तवज्जो देने का मामला सामने आया, पीसीएस की परीक्षा में एक खास जाति के लोगों का वर्चस्व नजर आया।