इंफाल/नई दिल्ली,(एजेंसी)05 जून। मणिपुर में सुरक्षा बल की टुकड़ी पर घात लगाकर किए गए उग्रवादी हमले के बाद सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया है। एक तरफ जहां मामले जांच एनअाईए को सौंपी जा रही है वहीं सरकार ने दोषी संगठनों को जड़ से मिटा देने का फरमान जारी कर दिया है। इस बीच थल सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग मणिपुर पहुंच चुके हैं। उग्रवादियों की इस हरकत का करारा जवाब देने की तैयारी में सेना लग गई है।
भारत-म्यांमार सीमा से मात्र 15-20 किमी दूर हुआ हमला पिछले दो दशक में सबसे भीषण है। सैन्य प्रवक्ता कर्नल रोहन आनंद ने दिल्ली में बताया कि मुठभेड में 18 सैनिक शहीद हो गए और 11 घायल हुए हैं। शुरुआती खबरों में मृतक संख्या 20 बताई गई थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मामले में काफी गंभीर है और इसी मुद्दे को लेकर शुक्रवार को आपातकालीन बैठक भी बुलाई गई। चांडेल जिले में उग्रवादियों ने छह डोगरा रेजीमेंट के जवानों के गश्ती दल पर गुरुवार को भीषण हमला कर दिया था। इसमें एक जेसीओ सहित 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा इस हमले में 11 जवान घायल हुए थे।
जवाबी कार्रवाई में एक संदिग्ध उग्रवादी भी मारा गया है। मणिपुर के गृह सचिव जे. सुरेश बाबू ने हमले में विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) व केवाईकेएल का हाथ होने की आशंका जताई है। सेना ने केवाईकेएल का हाथ बताया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार ऐसे हमले मध्य 90 के दशक में सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही होते थे।
गुरुवार सुबह 9 बजे हमला राजधानी इंफाल से नियमित गश्ती के लिए चंडेल जा रहे दल पर पेरालांग व चारोंग गांवों के बीच हुआ। घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने सेना के चार वाहनों के काफिले को पहले आईईडी विस्फोट से उड़ाया, फिर रॉकेटों से ग्रेनेड (आरपीजी) दागे। इसके बाद अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की।
सैनिकों के संभलने से पहले ही उग्रवादी उन्हें नुकसान पहुंचाकर भाग निकले। पुलिस के अनुसार सेना का दल इंफाल से 80 किमी दूर टेग्नोपाल–न्यू समतल रोड की दैनिक ‘रोड ओपनिंग पेट्रोलिंग (आरओपी) पर था।