बिहिया,(एजेंसी)04 जून। सूबे में साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ने के कई मामले सामने आये हैं ,लेकिन बिहार में एक ऐसा इलाका भी है जहां हिन्दू-मुस्लिम के अटूट रिश्तों की चर्चा करते लोग नहीं अघाते। यहां एक ही चौखट पर हिन्दू-मुस्लिम इबादत करते हैं। मुस्लिम युवक के घर हत्या हो तो नहीं मनता महान पर्व छठ अनुष्ठान और किसी हिन्दू के घर मातम पसर जाये तो कुर्बान हो जाती हैं ईद की हजारों खुशियां।
इस एकता की मजबूत डोर और आपसी भाईचारे की मिसाल देखनी है तो एक बार बिहिया जरूर आइए। मखदुम साहेब के पवित्र मजार पर यहां हर साल लगने वाले तीन दिवसीय सालाना उर्स के दौरान पवित्र मजार पर हिन्दू और मुसलमान एक साथ इबादत करते हैं। मन्नते मांगते हैं और चादर चढ़ाते हैं। मुर्हरम पर निकलने वाले ताजिया जुलूस का लाइसेन्स हिन्दू समुदाय के लोग लेते हैं और मुर्हरम के भव्य जुलूस में बढ़चढ़कर हिस्सा ले प्रेम को प्रगाढ़ बनाते हैं।
बसंत पंचमी पर निकलने वाले भव्य महावीरी जुलूस में मुसलमान भाई डंके की चोट पर कला प्रदर्शन कर भक्ति का अध्याय लिखते आ रहे हैं। लगभग दो वर्ष पहले छठ पूजा के ठीक पहले जब एक युवा मुसलमान रजिद अंसारी की हत्या हुई तो घटना से मर्माहत हिन्दू समुदाय के लोगों ने छठ नहीं मनाया और जब ईद के ऐन मौके पर नगर के साहेब टोला में बुजुर्ग दशरथ प्रसाद की मौत हुई तो मुहल्ले के गमगीन सभी मुसलमान ईद की खुशियां कुर्बान कर दिये। बिहिया नगर में कब्रिस्तान निर्माण की मांग को लेकर मौलवी और पंडित एक साथ मंच साझा कर आंदोलन करते हैं।
बिहिया नगर निवासी पोस्टमास्टर पंकज वर्मा का कहना है कि बिहिया की धरती तो वह धरती है, जहां दीवाली में अली बसते हैं और रमजान में राम। इस धरती से सभी को सीख लेने की जरूरत है। पूर्व मुखिया मुराद हुसैन ने बताया कि यह धरती मिल्लत और सद्भाव सिखाती है। मनौतियों की देवी मां महथिन की इस पवित्र धरती पर जाति, धर्म, पंत व मजहब के बीच कोई फर्क नहीं।