लखनऊ,(एजेंसी)31 मई। राजधानी के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि इतने लंबे अरसे तक एसएसपी विहीन लखनऊ बना हुआ है। राजधानी में करीब एक माह से एसएसपी की कुर्सी खाली है। डीएम और डीआईजी बाकी कामकाज के साथ कानून-व्यवस्था संभाले हुए हैं। पुराने शहर में शुक्रवार की रात को दो समुदायों में बवाल हुआ तो दोनों अफसरों ने मोर्चा संभाला। सवाल यह है कि आखिर कब तक एसएसपी की कुर्सी खाली रहेगी। दूसरी जिम्मेदारियां संभालने वाले अफसर कब तक बाकी जिम्मेदारियों के साथ कानून-व्यवस्था संभालेंगे। वह भी तब जब पुराने शहर में त्योहारों को लेकर अभी से माहौल संवेदनशील होता नजर आने लगा है। फिलहाल इन सवालों के जवाब के लिए हर किसी की नजरें पंचम तल से आने वाले फैसलों पर टिकी हैं।
-एक महीने से ज्यादा हो गया, शहर में कोई एसएसपी नहीं
-पुराने शहर में बवाल के बाद डीएम और डीआईजी ने संभाला मोर्चा
-रेंज के साथ ही राजधानी की भी जिम्मेदारी निभा रहे हैं डीआईजी
सूबे की राजधानी में एसएसपी के पद पर तैनात रहे यशस्वी यादव एक मई को हटाए गए। उनके हटने के बाद से नए एसएसपी की तलाश अब तक पूरी नहीं हो पाई है। एसएसपी की तैनाती न होने से कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी डीआईजी संभाल रहे हैं। एसएसपी की कुर्सी खाली रहने के पीछे यूं तो जानकार तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं, लेकिन आखिरी फैसला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ही करना है। पूर्व एसएसपी के हटने के बाद उनकी फिर से ताजपोशी की अटकलें अब उनके डीआईजी बनने के बाद समाप्त हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो लखनऊ के एसएसपी की दौड़ में सीएम के चहेते पांच आईपीएस लाइन में नजर आ रहे हैं। इनमें से दो को एसएसपी की कुर्सी का प्रबल दावेदार माना जा रहा है, लेकिन सत्ताधारी पार्टी की कमान संभालने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता आगामी चुनाव को लेकर भी एसएसपी की तैनाती को देख रहे हैं। पार्टी के एक धड़े के नेता ऐसे आईपीएस को एसएसपी की कुर्सी पर बैठाना चाहते हैं, जिससे मतदाताओं में कुछ मैसेज भी जाए। फिलहाल नए एसएसपी की तैनाती राजनीति के दो पाटे में फंसी नजर आ रही है।
फरियादियों को भी हो रही दिक्कतें
एसएसपी की कुर्सी खाली होने की वजह से डीआईजी रेंज एक साथ दो-दो ऑफिस संभाल रहे हैं। वह अक्सर सुबह के समय एसएसपी ऑफिस में फरियादियों की शिकायतें सुनते हैं तो शाम को अपने कार्यालय में जोन के जिलों की कारगुजारी के कामकाज देखते हैं। लखनऊ जिले के अलावा जोन के अन्य जिलों में भी कोई बड़ी घटना होने पर उनकी मौजूदगी भी नजर आती है। इसके अलावा ट्रैफिक के मैनेजमेंट से लेकर अपराधियों की धरपकड़ तक का जिम्मा भी उन्हीं के कंधों पर है।
पुराने शहर में रातभर जमे रहे अफसर
टिकैतगंज खंडहा में शुक्रवार की रात को दो समुदायों के बीच बवाल होने की स्थिति में डीएम राजशेखर और डीआईजी आरके चतुर्वेदी मोर्चा संभाले हुए थे। अफसरों के साथ उनके मातहत भी पल-पल की गतिविधियों पर नजर रखे थे। आसपास के थानों की पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन एसएसपी की कमी अफसरों को भी खल रही थी।