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देश में कई शंकराचार्य फर्जी, उज्जैन सिंहस्थ में सिर्फ 4 शंकराचार्यों मिलेगी इंट्री: नरेंद्र गिरि


उज्जैन,(एजेंसी)30 मई। देश में धर्म को लेकर हमेशा से तलवारें खिंचती रही हैं। कभी साईं की पूजा रोकने के लिए शंकराचार्य धर्म संसद बुलाते हैं, तो कभी धर्म प्रमुख का पद हासिल करने के लिए फर्जीवाड़े हो रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में कई शंकराचार्य फर्जी हैं। मूल पीठ चार हैं और उनके शंकराचार्य ही मान्य हैं। फर्जी शंकराचार्य उज्जैन ‘सिंहस्थ’ क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।

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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि (फाइल)

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद इस मामले में सख्त निर्णय लेने का मन बना चुकी है। साथ ही फर्जी साधुओं को जमात से बाहर करने के लिए अब हर अखाड़ा अपने साधु-संतों, महामंडलेश्वरों का परिचय पत्र जारी करेगा। इस पर साधु का नाम, अखाड़े का नाम, स्थान और अखाड़े के पदाधिकारी के हस्ताक्षर होंगे। सिंहस्थ 2016 के पहले सभी को परिचय पत्र दे दिए जाएंगे। इस बात की जानकारी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कही।

‘इससे घट रही है सनातन धर्म की मर्यादा’
नासिक से इलाहाबाद जा रहे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरि उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों का जायजा लेने रुके थे। मीडिया से चर्चा में उन्होंने बढ़ते जा रहे फर्जी शंकराचार्यों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फर्जी शंकराचार्यों की वजह से सनातन धर्म की मर्यादा घटती है। इसलिए इस बार सिंहस्थ 2016 में फर्जी शंकराचार्यों को घुसने नहीं दिया जाएगा। देश में सिर्फ 4 शंकराचार्य पीठ हैं और यही मान्य पीठ रहेंगे।

’13 अखाड़ों के बीच कोई विवाद नहीं’
इसी तरह फर्जी साधुओं को रोकने के लिए हर अखाड़ा परिषद को कहा जा रहा है कि वे अपने साधु-संतों, महामंडलेश्वरों का परिचय पत्र जारी करें। अखाड़ों में विवाद के विषय पर नरेंद्र गिरि ने कहा, ’13 अखाड़ों के बीच कोई विवाद नहीं है। वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि श्रीमहंत धर्मदास, मदनमोहनदास और रामकिशनदास का हमें समर्थन प्राप्त है। 15 से 20 जून के बीच उज्जैन में अभा अखाड़ा परिषद की बैठक होगी, जिसमें तीनों अणि भी शामिल होंगे। इस बैठक में अखाड़ों में निर्माण कार्य, मेला क्षेत्र की तैयारी, शिप्रा की स्थिति, अतिक्रमण और अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी।’

‘छीनी जाएगी महामंडलेश्वर की पदवी’
अखाड़ों के भीतरी विवादों पर उन्होंने कहा यदि कोई अखाड़ा गलती करता है तो उस पर कार्रवाई होना जरूरी है, तभी अनुशासन रहता है। उन्होंने बताया कि उज्जैन के प्रेमानंद महाराज से महामंडलेश्वर की पदवी छीनने के लिए भी पत्र दिया जा रहा है। अभा अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने बताया कि उज्जैन सिंहस्थ का मुहूर्त नासिक कुंभ खत्म होने के बाद निकाला जाएगा। कुंभ खत्म होने से पंडितों के साथ बैठक में उज्जैन में स्नान के मुहूर्त तय होंगे। इसी में तय होगा कि कितने शाही स्नान होंगे।


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