आजमगढ़,(एजेंसी)28 मई। आजमगढ़ जिले के मंडल कारागार में छापेमारी में 58 मोबाइल मिलने के बाद सुर्खियों में आया था। इस छापेमारी के बाद जेल प्रशासन ने अपनी कमियों को छुपाने के लिए अपने उन सिपाहियों को निलंबित कर दिया। जिन्होंने, छापेमारी की कार्रवाई में सहयोग किया था।
वहीं दूसरी ओर पुरस्कृत होने के बजाय निलंबित हुए बंदीरक्षकों ने जेल अधीक्षक पर अपराधियों से सांठ-गांठ करने, मोबाइल, गांजा, गोश्त और शराब की आपूर्ति कराकर लाखों रुपए महीने की अवैध कमाई करने का सनसनीखेज आरोप लगाया है।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और कारागार मंत्री बलराम यादव के गृह जनपद आजमगढ़ के मंडल कारागार में कुख्यात अपराधियों और जेल प्रशासन की मिली भगत का भंडाफोड हुआ है। आजमगढ़ जिला प्रशासन के जेल में औचक छापेमारी में 58 मोबाइल बरामद होने के बाद जहां शासन में हडकंप मच गया, वहीं शासन आजमगढ़ के जेलर को निलंबित करते हुए जेल अधीक्षक के उपर गाज गिराने की तैयारी में है।
जेल प्रशासन और अपराधियों के गठजोड़ के खुलासे में कारागार विभाग के चार बंदीरक्षकों त्रिभुवन सिंह, अशोक यादव, आशुतोष सिंह और जय प्रकाश यादव ने आजमगढ़ प्रशासन का सहयोग किया था। आजमगढ़ के पुलिस अधीक्षक ने चारों को पुरस्कृत करने के लिए पत्र लिखा, वहीं इन चार सिपाहियों को आजमगढ़ के जेल अधीक्षक ने निलंबित कर दिया।
निलंबित सिपाही आशुतोष कुमार और जयप्रकाश यादव ने जेल अधीक्षक पर गंभीर और सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। अपराधियों के लिए बैखौफ पनाहगार बने आजमगढ़ के इस मंडलकारागार में अपराधियों और जेल प्रशासन के गठजोड़ का खुलासा होने से शासन और प्रशासन में हडकंप मचा हुआ है।
इस घटना के बाद से कई बड़े सवाल उठते हैं कि इस पूरे घटनाक्रम पर जेल अधीक्षक ए के मिश्रा पर शासन द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। क्या अपराधियों और जेल अधीक्षक को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है।