नई दिल्ली,एजेंसी-8 फरवरी । शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को एक बार फिर लोकसभा चुनाव से पहले सियासी पार्टियों पर गुस्सा आया है। उनके खिलाफ रणनीति तय करने को दिल्ली जामा मस्जिद में मुस्लिम नुमाइंदों का सम्मेलन बुलाया है। इसके लिए दावतनामे बरेली भी भेजे गए हैं। बुखारी के इस सम्मेलन में मुजफ्फरनगर दंगे से लेकर सच्चर कमेटी की सिफारिश लागू नहीं करने का मामला गूंजेगा।
दिल्ली में 12 फरवरी को होने वाले सम्मेलन का दावतनामा बरेली में आल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता रिजवान बरकाती को भी बुलाया गया है। दावतनामे के मजमून को पढ़ने से साफ हो रहा है कि शाही इमाम की दूरी इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से बनी रहेगी। साथ ही वह सूबे की अखिलेश सिंह यादव सरकार से भी खफा हैं। शाही इमाम का कहना है कि 2009 के लोकसभा चुनाव और उसके बाद होने वाले सूबों के विधानसभा चुनावों के बाद मुसलमानों की दिक्कतें बढ़ी हैं। दहशतगर्दी मुखालिफ मुहिम की आड़ में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को गिरफ्तार करके जेलों में डाला गया है। खासतौर से यूपी के मुजफ्फरनगर जैसे शहरों में दंगों से मुसलमानों के साथ हर क्षेत्र में जुल्म और ज्यादती की गई। संवैधानिक और बुनियादी अधिकारों को ठेस पहुंचाए जाने से संगीन परिस्थितियां पैदा हो रही हैं। ऐसे माहौल में अपनी जिम्मेदारी का अहसास करते हुए तमाम मुस्लिम नुमाइंदों का सेमीनार बुलाया है। यह 22 फरवरी को सुबह साढ़े दस बजे से होगा। सेमीनार का पांच सूत्री एजेंडा भी तय हो गया है। उसी पर लोगों की राय ली जाएगी। केंद्र और प्रदेश की सरकार निशाने पर रहेगी।
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