नई दिल्ली,एजेंसी-7 फरवरी। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि कई केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षकों की भारी कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 4,700 से अधिक पद रिक्त पड़े हुए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व में शिक्षा के क्षेत्र को नेतृत्व दे सकता है, “अगर हमारे अंदर खुद को उस ऊंचाई पर देखने और इसका नेतृत्व करने की इच्छा पैदा हो।”
राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “शिक्षा उच्च स्तर के लोगों का विशेषाधिकार नहीं रहा, बल्कि इस पर सबका अधिकार है।”
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और 40 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने हिस्सा लिया।
मुखर्जी ने कहा कि कई केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षकों की गंभीर कमी की समस्या से जूझ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले साल के 6,422 पदों के मुकाबले 4,784 पद रिक्त पड़े हैं और सिर्फ 25 फीसदी पदों पर बहाली हो पाई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 18 महीने में उन्होंने 58 उच्च शिक्षण संस्थानों का दौरा किया है जिसमें 17 केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में बहुत अधिक संभावनाएं हैं जिनका इस्तेमाल नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमई-आईसीटी) और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) को पहले ही 34 केंद्रीय विश्वविद्यालयों सहित 1,163 संस्थानों से अधिक के साथ जोड़ दिया गया है। बाकी विश्वविद्यालयों को भी जल्द ही इस ई-परिवार का हिस्सा बनने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वविद्यालयों से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आईसीटी नेटवर्क का प्रभावी इस्तेमाल करने को कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि शोध भारत की उत्पादन क्षमता को व्यापक बनाने का मूल तत्व है। उन्होंने सम्मेलन में प्रतिनिधियों से विश्वविद्यालयों में शोध के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रणाली को मजबूत करने के उपायों पर विचार-विमर्श करने को कहा।
विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों में भारत का स्थान न होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय से श्रेणीक्रम को गंभीरता से लेने और अपने योगदान को रैंकिंग एजेंसियों के सामने उचित तरीके से रखने के लिए एक नॉडल प्राधिकरण नियुक्त करने को कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ स्थानों पर छात्रों और कर्मचारियों की अनुशासनहीनता की स्थिति गंभीर है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से परिसर में अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहा, ताकि छात्रों को शिक्षा और शोध के लिए तनाव और भयमुक्त वातावरण मिल सके।
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