नई दिल्ली,एजेंसी-29 जनवरी । केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने चंदे के स्रोत के संबंध में भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं दिया है।
न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति जयवंत नाथ की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता वकील एम.एल.शर्मा से कहा कि वह इस मामले में आप को बतौर एक पक्ष के रूप में शामिल करें और इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई की तारीख पांच फरवरी तय कर दी है।
गृह मंत्रालय की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव मेहरा ने पीठ को बताया कि सरकार ने चंदे के स्रोत के बारे बताने के लिए ‘आप’ को दो बार लिखित नोटिस भेजा है, लेकिन ‘आप’ ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।
मेहरा ने कहा कि सरकार ने ‘आप’ को दो बार नोटिस भेजा और हम अभी भी जवाब का इंतजार कर रहे हैं। हम अपनी जांच जारी रखेंगे।
इससे पहले न्यायालय ने 26 नवंबर, 2012 को ‘आप’ के गठन से लेकर अब तक उसे मिले चंदे की जांच करने और विदेशी अनुदान नियमन कानून (एफसीआरए) का उल्लंघन पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें ‘आप’ नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ कानून का उल्लंघन कर विदेशों से चंदा प्राप्त करने के संदर्भ में आपराधिक मामला दर्ज किए जाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता शर्मा ने ‘आप’ सदस्यों द्वारा जमा किए गए धन और उनके खातों को जब्त करने की भी मांग की है।
याचिका में केजरीवाल, अधिवक्ता द्वय शांति भूषण और प्रशांत भूषण और दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया का नाम शामिल है और उसमें कहा गया है कि एफसीआरए के तहत ‘आप’ के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए निर्देश दिए जाएं और न्याय के लिए न्यायालय की निगरानी में दैनिक सुनवाई हो।
याचिका में कहा गया है कि एफसीआरए राजनीतिक पार्टियों को विदेशों से चंदा लेने पर रोक लगाता है।
मामले में एक पक्षकार की ओर से पेश हुए प्रशांत भूषण ने हालांकि कहा कि याचिका दुर्भावना के साथ दायर की गई है। ‘आप’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता आशुतोष ने इस मुद्दे पर कहा है कि हमारे पास छुपाने के लिए कुछ नहीं है। छुपाना तो दरअसल कांग्रेस और बीजेपी को है। हमसे फंड के बारे में जो भी जानकारी सरकार ने मांगी थी उस समय उपलब्ध करा दी गई थी। आगे भी जो जानकारी मांगी जाएगी हम उपलब्ध कराते रहेंगे।
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