खबर इंडिया नेटवर्क, गरिमा सिंह। लोकपाल बिल कर्इ दलों की नाराजगी और तमाम तरह की मुशिकलों से होकर निकला तो श्रेय लेने की खींचातानी शरू हो गयी। विधानसभा चुनावों में चारों खाने चित्त कांग्रेस के मंसूबे तब धरे के धरे रह गये जब नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने खुद की पार्टी और कांग्रेस को श्रेय न देते हुये सारा श्रेय जनता और समाज सेवी अन्ना हजारे को दे दिया।
राहुल गांधी ने भी इस लोकपाल बिल पर अपनी भावनाएं व्यä की लेकिन मामला तो तब बिगड़ गया जब उनसे भी पहले सुषमा स्वराज अपनी दरियादिली दिखा चुकी थी । ना चाहते हुये भी कांग्रेस को विपक्ष की इस दरियादिली में उसका साथ देना पड़ा ।श्रेय लेने की लाइन में खड़ी कांग्रेस इस बिल को बहुत पहले भी पारित करवा सकती थी। पहले तो भाजपा की भी यही इच्छा थी कि नाम उनका ही आये इस विधेयक को पारित कराने में । लेकिन कांग्रेस की ललक को देखकर भाजपा ने इस मामले से दूर रहते हुये खुद को जनता का हितैषी समझने में ही अपनी बेहतरी समझी और लोकपाल बिल पारित कराने का सेहरा अन्ना और जनता के सिर बाँध दिया ।
बात अपने पक्ष में न आते देख राहुल गांधी ने एक और बयान दे कर यह जता दिया की वो श्रेय लेने के मोह से बाहर नही निकल पा रहे है। उन्होने कहा बिल तो दो साल पहले ही पारित हो चुका होता लेकिन इसमें कुछ खामियां थी जिस वजह से इसे रोका गया था।
इस बिल से भले ही देश के तमाम लोगों को संतोष हो रहा हो, लेकिन कभी अन्ना के समर्थक रहे अरविंद केजरीवाल इस विधेयक को जनता के साथ छल बता रहे है। उनका मानना है कि यह लोकपाल दागियों को क्या एक चुहे को भी जेल के अंदर नही डाल सकता ।
वहीँ कांग्रेस ने इस बिल को आनन फानन में पास करवा कर अपने बड़े सहयोगी समाजवादी पार्टी को नाराज किया है। लोकसभा में अपने भाषण के दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव खास तौर पर सोनिया गांधी से बिल वापसी को लेकर गुहार लगाते देखे गए। यह तय है कि अब सपा आने वाले दिनों में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलने में कोर्इ कसार नहीं रखेगी। 2014 की राजनीति में सत्ता पाने की ललक में अभी कितने मतभेद दिखेगे इसका अंदाजा लगाना मुशिकल है।
Check Also
12वी के बाद करना चाहते है होटल मैनेजमेंट कोर्स तो पढ़े पूरी खबर
समय के साथ हॉटल्स की संख्या बढ़ने के साथ ही हॉसपिटैलिटी इंडस्ट्री में भी बहुत …