खबर इंडिया नेटवर्क , नीलम – क्यों करते है हम राष्ट ध्वज का अपमान? या तो हम में से कुछ लोग इसकी एहमियत नही समझते या तो वे उसका सम्मान करना भूल गये है।
हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी के बाद कागज, कपडे और प्लासिटक पर बने तिरंगे सड़कों पर और कूड़ेदानों में पड़ा पाते है। हम मे से बहुत कम लोग है जो उसे सम्भाल कर अपनी किताब मे रखते है, या अपनी छत पर किसी ऐसे स्थान पर बांध कर रखते हैं की यह प्रतीक सदा हवा में लहराता रहे।
इसके विपरीत, जब किसी अन्य देश में विज्ञापन या अमर्यादित तरीके से तिरंगे का अपमान होता है तो हमारे देश की जनता आक्रोशित होती है और सरकार कार्यवाही करने की मांग करती है। लेकिन जब ऐसा ही अपमान हमारे देश किसी के द्वारा किया जाता है तो न ही जनता को फर्क पडता है और न ही सरकार कुछ बोलती है।
हर साल इन दो दिवसों की सुबह जो तिरंगे बच्चो के हाथों मे नजर आते है वे शाम होते ही सडक पर पड़े नजर आते हैं या कुछ सामान बाँधने के काम आते हैं। क्या अपने घर की दीवार तभी गंन्दी होती है जब कोर्इ बाहर वाला उस पर पान थूके ? हम में सभी के अंदर देश भä कि जुनून है पर निजी जिन्दगियो मे हम अपने देश के इस सबसे बड़े प्रतीक का आदर नहीं करते
कोर्इ आम आदमी अगर ऐसी भूल करे तो कहा जा सकता है कि उनमे जानकारी की कमी है, लेकिन जब वो ही तिरंगा किसी महाज्ञानी राजनीतिज्ञ की रैली मे हजारों हाथो मे लहराता है तब कोर्इ नही पूछता कि रैली के बाद उस तिरंगे का क्या होगा? क्यो हम तिरंगे को एक खास दिन पर ही सम्मान देते है?
जरुरत है कि इस राष्ट्रीय प्रतीक के आदर के लिए एक आचार संहिता बनार्इ जाये, जिसके अंतर्गत 15 अगस्त तथा 26 जनवरी को होने वाले कार्यक्रमों के उपरान्त सभी ध्वजों को एक सुरक्षित जगह पर रखवा दिया जाये । स्कूली बच्चे अपने स्कूलों मे ध्वज को रखें तथा इसके अतिरिä होने वाले कार्यक्रमों मे भी ध्वज को सम्मान के साथ एकत्रित कर लिया जाये ।
यह न भूलें कि आखिर तिरंगे का सम्मान देश के सम्मान के साथ जुड़ा है।
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